मौजूदा धनी किसान आन्‍दोलन और कृषि प्रश्‍न पर कम्‍युनिस्‍ट आन्‍दोलन में मौजूद अज्ञानतापूर्ण और अवसरवादी लोकरंजकतावाद के एक दरिद्र संस्‍करण की समालोचना

कुतर्क की आड़ में पीआरसी सीपीआई (एमएल) की मज़दूर वर्ग-विरोधी अवस्थिति छिप नहीं सकी है! सच यह है कि पीआरसी सीपीआई (एमएल) का नेतृत्‍व मौजूदा धनी किसान-कुलक आन्‍दोलन की गोद में बैठने की ख़ातिर तरह-तरह के राजनीतिक द्रविड़ प्राणायाम कर रहा है, तथ्‍यों को तोड़-मरोड़ रहा है, गोलमोल बातें कर रहा है, समाजवाद के सिद्धान्‍त और इतिहास का विकृतिकरण कर रहा है और अवसरवादी लोकरंजकतावाद में बह रहा है। लेकिन इस क़वायद के बावजूद, वह कोई सुसंगत तर्क नहीं पेश कर पा रहा है और लाभकारी मूल्‍य के सवाल पर गोलमोल अवस्थिति अपनाने और उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जोड़ने से लेकर “सामान्‍य पूँजीवादी खेती” और “कॉरपोरेट पूँजीवादी खेती” की छद्म श्रेणियाँ बनाकर मार्क्‍सवाद-लेनिनवाद का विकृतिकरण करने तक, सोवियत समाजवाद के बारे में झूठ बोलने और “उचित दाम” का भ्रामक नारा उठाने से लेकर तमाम झूठों और मूर्खताओं का अम्‍बार लगा रहा है।