मार्क्‍सवाद-लेनिनवाद के बुनियादी सिद्धान्‍तों के बारे में ‘प्रतिबद्ध-ललकार’ ग्रुप के नेतृत्‍व की ”समझदारी”: एक आलोचना (पहला भाग)

मार्क्‍सवाद की तमाम संशोधनवादी हमलों से हिफ़ाज़त करना किसी भी प्रतिबद्ध कम्‍युनिस्‍ट का फ़र्ज़ होता है। बर्नस्‍टीन के समय से लेकर देंग स्‍याओ पिंग के समय तक क्रान्तिकारी कम्‍युनिस्‍टों ने संशोधनवादियों द्वारा मार्क्‍सवाद के क्रान्तिकारी विज्ञान के विकृतिकरण का खण्‍डन किया है। यह विचारधारात्‍मक संघर्ष मार्क्‍सवाद के विज्ञान की शुद्धता और उसके वर्चस्‍व को सुनिश्चित करने के लिए आवश्‍यक है। लेकिन इस वांछनीय कार्य को हाथ में लेने वाले क्रान्तिकारी कम्‍युनिस्‍ट को पहले अपनी थाह भी ले लेनी चाहिए। उसे ज़रा अपने भीतर झांक लेना चाहिए कि क्‍या वह मार्क्‍सवाद की संशोधनवाद से हिफ़ाज़त करने के लिए आवश्‍यक बुनियादी समझदारी रखता है या नहीं। वरना कई बार आप जाते तो हैं नेक इरादों से ओत-प्रोत होकर संशोधनवाद से मार्क्‍सवाद की रक्षा करने, लेकिन मार्क्‍सवाद का ही कबाड़ा करके चले आते हैं! ऐसा ही कुछ कारनामा पंजाबी पत्रिका ‘प्रतिबद्ध’ के सम्‍पादक सुखविन्‍दर ने किया है।