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चीन का आगामी ऋण संकट वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक तीखा मोड़

सभी अर्थशास्त्री यह अनुमान लगा रहे हैं कि यह ऋण संकट आने वाले समय में दो रुख ले सकता है –या तो अमेरिकी तर्ज़ पर बैंकों के बड़े स्तर पर दिवालिया होने की ओर बढ़ सकता है और या फिर जापानी तर्ज़ पर चीन लम्बे समय के लिये बेहद कम आर्थिक वृद्धि दर का शिकार हो सकता है। और यह दोनों ही सूरतेहाल चीनी अर्थव्यवस्था के लिये और पूरे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये भयानक है। हड़बड़ाहट में बुर्जुआ अर्थशास्त्री चीन पर अब इलज़ाम लगा रहे हैं कि उसने अपने ऋण को कंट्रोल में क्यों नहीं रखा, क्यों इस की मात्रा इतनी बढ़ने दी। दरअसल यह संकट के समय आपस में तीखे हो रहे पूँजीवादी अन्तर्विरोधों का ही इज़हार हो रहा है।

गहराता विश्व आर्थिक संकट और जी-20 बैठक

इस बैठक के बाद जारी किये गये आधिकारिक बयान में विश्व पूँजीवाद के प्रमुख नेताओं ने यह माना कि आर्थिक संकट से अभी निजात नहीं मिली है, बल्कि यदि जल्द ही कुछ न किया गया तो आने वाले समय के अन्दर एक और मन्दी दहाने पर खड़ी है। इस बैठक से कुछ दिन पहले ही विश्व मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें आई.एम.एफ. ने वैश्विक आर्थिक दर की वृद्धि के बारे में अपने पहले के अनुमानों को घटा दिया है। रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2016 के दौरान वैश्विक आर्थिकी 3.2% की रफ़्तार से बढ़ेगी।