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सरकारी शिक्षा पर चौतरफ़ा संकट के बादल

हर किसी के जीवन में शिक्षा की एक अहम भूमिका होती है। जीवन को उच्चतम धरातल पर ले जाने में शिक्षा की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। शिक्षा के बिना हर कोई अपने आप को अधूरा-सा महसूस करता है। वैसे तो बच्चे की पहली पाठशाला उसका घर होता है लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि उसको अक्षर ज्ञान किसी स्कूल में जाने से ही प्राप्त होता है। स्कूल किसी बच्चे को केवल अक्षर ज्ञान ही नहीं देता बल्कि बहुत सारी दूसरी चीज़ों से भी ओत-प्रोत करता है जो उसके आने वाले जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। इसलिए किसी भी बच्चे को स्कूली जीवन जीना आवश्यक ही नहीं बल्कि बेहद ज़रूरी माना जाता है।

आर.एस.एस. का जातिवादी चेहरा एक बार फि़र बेनकाब

हरियाणा में दिन-प्रतिदिन दलितों के उत्पीड़न के मामले सामने आते रहते है। हरियाणा में 2010 में दलित उत्पीड़न के 238 मामले सामने आये थे जो 2013 में बढ़कर 257 हो गये। ऐसी घटनाओं से साबित होता है कि हरियाणा की सरकार में चाहे कांग्रेस आये या इनेलो आए, भाजपा आये या बसपा आये कोई भी चुनावबाज़ पार्टी सरकार में आये फिर भी मेहनतकश दलित आबादी के जीवन में कोई फ़र्क पड़ने वाला नहीं है। आये दिन उन्हें दलित विरोधी मानसिकता का सामना करना पड़ता है, अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। आज हरियाणा में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में दलित उत्पीड़न के मामले पहले से कहीं ज़्यादा संख्या में सामने आ रहे हैं। दलित उत्पीड़न की घटनाओं को हम समाज में विभिन्न रूपों में देख सकते हैं। कुछ ही दिनों पहले राजस्थान के डांगावास में भी दलितों पर भयंकर किस्म का हमला किया गया था। इस हमले में तीन जानें गयी और दर्जनों लोग बुरी तरह से घायल हुए थे। इस हमले के पीछे ज़मीन का पुराना मामला था। यहाँ पर भी स्थानीय प्रशासन और नेताशाही पूरी तरह से हमलावर जाटों के पक्ष में दिखायी दिये। पूरे देश भर में भाजपा सरकार के आने के बाद इस तरह के मसलों में बढ़ोत्तरी दर्ज़ की गयी है।