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मीडिया का असली चरित्र

किसी तथ्य के समाचार बनने की कुछ पूर्वशर्तें होती हैं। या तो उसका रिश्ता उच्च वर्ग और उनकी जीवन शैली से हो तो उसे विशेष कवरेज मिलेगा; या फ़िर वह जनता को किसी भी रूप में और ज़्यादा अतार्किक, कूपमण्डूक और अन्धविश्वासी बनाती है; या वह जनता की संवेदनाओं की हत्या करती हो। इन शर्तों को पूरा करने पर ही कोई तथ्य या किस्सा ख़बर बन जाता है। अगर उसका सम्बन्ध आम तबके के लोगों से हैं या उनके संघर्षों से है तो वह हाशिये की चीज बनकर रह जायेगी।

बजरंग दल : हिन्दु आतंकवाद

चाहे दिसम्बर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला हो या 2002 में गुजरात काण्ड हो या अभी उड़ीसा के कंधमाल की घटना हो सभी जगहों पर पूरे योजनाबद्ध तरीके से बजरंगदलियों ने अपनी नपुंसक मर्दानगी का नंगा नाच किया । यही नहीं इन मानवद्रोही घटनाओं को अंजाम देने में राज्य सरकारें पूरा सहयोग देती दिखायी दीं । 2002 में गुजरात काण्ड इसका जीता जागता नमूना है । इस घृणित योजना को अमली जामा पहनाने में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का मुख्य योगदान था । तहलका काण्ड के माध्यम से लोगों को यह भी पता चला कि इनका आनुषंगिक संगठन भाजपा भी इन नृशंस जनसंहारों में अपनी पूरी भूमिका निभा रहा है ।