Tag Archives: स्मृति संकल्प यात्रा

जन्तर–मन्तर पर छात्रों–नौजवानों–मज़दूरों–महिलाओं के विशाल जुटान के साथ स्मृति संकल्प यात्रा का समापन

यह एक अहम सवाल बनता है कि यह बेहद ख़र्चीला और भारी–भरकम “जनतंत्र” आखिर किसके लिए है ? यह सिर्फ नवधनिक वर्गों और पूँजीपतियों का जनतंत्र है । आम जनता के लिए यह कफनखसोट और मुर्दाखोरों का शासन है । किसी भी चुनावबाज़ पार्टी की बात कर लें, हर किसी को आजमाया–परखा जा चुका है और अब उन्हें और परखने का कोई तुक नहीं है । सभी वक्ताओं ने कहा कि अब समय इलेक्शन का नहीं बल्कि इंकलाब की तैयारियों का है । बेशक यह एक लम्बी और मुश्किल राह है लेकिन यही एकमात्र राह है ।

डा. इरफान हबीब की पुस्तक का प्रो. सब्यसाची भट्टाचार्य द्वारा लोकार्पण

26 सितम्बर को डा. एस. इरफान हबीब की पुस्तक ‘टु मेक द डेफ हियर’ के हिन्दी अनुवाद ‘बहरों को सुनाने के लिए’ का लोकार्पण त्रिवेणी सभागार, नई दिल्ली में किया गया । लोकार्पण आधुनिक भारत के सुप्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. सब्यसाची भट्टाचार्य ने किया । इस मौके पर पुस्तक के अनुवादक और ‘दायित्वबोध’ के सम्पादक सत्यम, वरिष्ठ समाजवादी चिन्तक सुरेन्द्र मोहन, चर्चित कवि असद ज़ैदी, डा. एस. इरफान हबीब मौजूद थे । कार्यक्रम का संचालन दिशा छात्र संगठन के संयोजक अभिनव ने किया ।

दिल्ली विश्वविद्यालय में भगतसिंह पर व्याख्यान

डा. हबीब ने कहा कि भगतसिंह जन स्मृतियों में एक बहादुर इंकलाबी के रूप में बसे हुए हैं । लेकिन एक चिन्तक के रूप में उनकी पहचान को दबाया गया है और उन्हें याद करने को महज़ एक रस्म–अदायगी बना दिया गया है । उनकी तमाम रचनाएँ ग़ायब हो गईं और जो महत्वपूर्ण जेल डायरी हाथ लगी वह भी उनकी शहादत के 63 वर्षों के बाद । भगतसिंह की धारा राष्ट्रीय आन्दोलन की एक महत्वपूर्ण और सबसे अहम इंकलाबी धारा थी । लेकिन इस पूरी वैचारिक विरासत को दबा दिया गया है । इसे आज के नौजवानों को फिर से उजागर करना होगा और उसे जनता के आम वर्गों के बीच ले जाना होगा ।

प्रकाश विहार, दिल्ली में सांस्कृतिक कार्यक्रम से स्मृति संकल्प यात्रा समापन सप्ताह की शुरुआत

भगतसिंह और उनके साथियों की वास्तविक लड़ाई मज़दूरों के हितों के लिए थी और उस लड़ाई को आज के दौर में आगे बढ़ाने का काम भी मज़दूर ही कर सकते हैं । भगतसिंह आम मेहनतकशों की ही आज़ादी की बात कर रहे थे और वही उनका लक्ष्य था । आज के समय में मज़दूरों का क्रान्तिकारी हरावल दस्ता ही भगतसिंह का सच्चा वारिस हो सकता है ।

मार्ग मुक्ति का गढ़ना होगा, सच्चा मानव बनना होगा!

इन साढ़े तीन वर्षों के दौरान दिशा और नौभास ने देश के विभिन्न हिस्सों में साईकिल यात्राओं, पद यात्राओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पर्चा वितरण, पुस्तक प्रदर्शनी, पोस्टर प्रदर्शनी, झाँकियों, गोष्ठियों, विचार–विमर्श चक्रों, अध्‍ययन चक्रों और जुलूस आदि का आयोजन किया । इस पूरी यात्रा का मकसद था भगतसिंह और उनके साथियों की विचारधारा को जनता की बीच ले जाना और महज़ बहादुर क्रान्तिकारियों के रूप में बनी उनकी छवि के साथ–साथ गम्भीर चिन्तक की उनकी छवि को स्थापित करनाय साथ ही, इस यात्रा का मकसद यह था कि उन भूले–बिसरे सपनों और अभियानों को फिर से जीवित किया जाय और व्यापक छात्र–युवा आबादी के साथ ही साथ आम जनसमुदायों को भगतसिंह के विचारों को लागू करने की इस मुहिम का हिस्सा बनाया जाय ।

स्मृति संकल्प यात्रा के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में कार्यक्रम जारी

23 मार्च, 2005 को भगत सिंह और उनके साथियों के 75 शहादत वर्ष के आरम्भ पर शुरू की गई स्मृति संकल्प यात्रा के तहत देश के विभिन्न क्रान्तिकारी संगठन पिछले दो वर्षों से भगतसिंह के उस सन्देश पर अमल कर रहे हैं जो उन्होंने जेल की कालकोठरी से नौजवानों को दिया था; कि छात्रों और नौजवानों को क्रान्ति की अलख लेकर गाँव-गाँव, कारखाना-कारखाना, शहर-शहर, गन्दी झोपड़ियों तक जाना होगा। इस अभियान के दौरान इन जनसंगठनों ने जो भी जनकार्रवाइयाँ की हम उसका एक संक्षिप्त ब्यौरा देते रहे हैं और इस बार भी यहाँ दे रहे हैं। जिन इलाकों में अभियान की टोलियों ने मुहिम चलाई उनमें उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, कानपुर, नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, हापुड़; पंजाब में जालंधर, लुधियाना, संगरूर, अम्बाला आदि जैसे शहर और साथ ही दिल्ली समेत पूरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भी शामिल है। इनमें से कुछ स्थानों की अभियान सम्बन्धी रिपोर्टें हम यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं।

स्मृति संकल्प यात्रा के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में कार्यक्रम जारी

23 मार्च, 2005 को भगत सिंह और उनके साथियों के 75 शहादत वर्ष के आरम्भ पर शुरू की गई स्मृति संकल्प यात्रा के तहत देश के विभिन्न क्रान्तिकारी संगठन पिछले दो वर्षों से भगतसिंह के उस सन्देश पर अमल कर रहे हैं जो उन्होंने जेल की कालकोठरी से नौजवानों को दिया था; कि छात्रों और नौजवानों को क्रान्ति की अलख लेकर गाँव-गाँव, कारखाना-कारखाना, शहर-शहर, गन्दी झोपड़ियों तक जाना होगा। इस अभियान के दौरान इन जनसंगठनों ने जो भी जनकार्रवाइयाँ की हम उसका एक संक्षिप्त ब्यौरा देते रहे हैं और इस बार भी यहाँ दे रहे हैं। जिन इलाकों में अभियान की टोलियों ने मुहिम चलाई उनमें उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, कानपुर, नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, हापुड़; पंजाब में जालंधर, लुधियाना, संगरूर, अम्बाला आदि जैसे शहर और साथ ही दिल्ली समेत पूरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भी शामिल है। इनमें से कुछ स्थानों की अभियान सम्बन्धी रिपोर्टें हम यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं।

भगतसिंह के जन्मशताब्दी वर्ष की शुरुआत पर संकल्प मार्च

28 सितम्बर को भगतसिंह के जन्मशताब्दी वर्ष की शुरुआत पर बिस्मिल तिराहे से दिशा और नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं ने संकल्प मार्च निकाला जो कचहरी चैक, गोलघर, विजय चैराहा, बैंक रोड होते हुए भगतसिंह चैक, बेतियाहाता पहुँचकर संकल्प सभा में बदल गया।

गोरखपुर में दस दिन का अभियान व विचारगोष्ठी का आयोजन

स्मृति संकल्प यात्रा के तहत 15 सितम्बर को गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में दिशा की ओर से एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का विषय था ‘आज का समय, युवा और भविष्य का रास्ता’। गोष्ठी के मुख्य वक्ता स्मृति संकल्प यात्रा के संयोजक अरविन्द सिंह ने कहा कि आज बाजार की शक्तियों ने नौजवानों के भविष्य का रास्ता रोक रखा है। इस अवरोध को हटाए बिना और एक नये समाज का निर्माण किये बिना नौजवान भविष्य की राह पर आगे नहीं बढ़ सकते। उन्होंने कहा कि नौजवानों को एक नयी क्रान्ति का सन्देश लेकर मेहनतकशों के बीच जाना होगा और उन्हें क्रान्तिकारी जनसंगठनों में संगठित करते हुए एक व्यापक और लम्बी लड़ाई की तैयारी करनी होगी। इस वक्तव्य के बाद बड़ी संख्या में मौजूद छात्रों–युवाओं के बीच से बहुत से सवाल आये जिनमें ज़्यादातर इस बारे में थे कि भगतसिंह के सपनों का भारत कैसा होगा और उनकी राह पर आगे बढ़ने का आज क्या अर्थ है।

नोएडा में स्मृति संकल्प यात्रा के तहत सघन अभियान

नौजवान भारत सभा ने शहीदे आजम भगत सिंह के जन्म शताब्दी वर्ष के मौके पर ‘स्मृति संकल्प यात्रा’ को नोएडा के घने मजदूर इलाके सेक्टर 8, 9, 10, तथा 16 की झुग्गियों, हरौला, चैड़ा, बिशुनपुर, मंगेल आदि गाँवों में तथा मुख्य रूप से खोड़ा कालोनी में केन्द्रित किया। क्रान्तिकारी गीत गाते हुए तथा जगह–जगह नुक्कड़ सभायें करते हुए सघन रूप से क्रान्तिकारी साहित्य और पर्चों का वितरण किया गया।