फ़ेक न्यूज़: डिजिटल माध्यमों से समाज की रग़ों में घुलता नफ़रत का ज़हर
इंटरनेट, सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के ज़रिये समाज में झूठी ख़बरों को फैलाने की यह परिघटना, जिसे फ़ेक न्यूज़ के नाम से जाना जाता है, दुनिया भर में भयावह रूप अख़्तियार करती जा रही है। अमेरिका में पिछले राष्ट्रपति चुनावों में ट्रम्प के अभियानकर्ताओं ने फ़ेक न्यूज़ का जमकर इस्तेमाल करते हुए अप्रवासियों, मुस्लिमों और लातिन लोगों व अश्वेतों के ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल बनाया जिसने ट्रम्प की जीत में अहम भूमिका निभायी। इसी तरह से यूरोप के तमाम देशों में भी अप्रवासियों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने में फ़ेक न्यूज़ का जमकर इस्तेेमाल किया जा रहा है। ब्रिटेन में यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए हुए जनमतसंग्रह के दौरान भी फ़ेक न्यूज़ का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया गया। लेकिन भारत में फ़ेक न्यूज़ की परिघटना जिस क़दर फैल रही है उसकी मिसाल दुनिया में शायद ही किसी और देश में देखने को मिले। इसकी वजह यह है कि भारत में अधिकांश फ़ेक न्यूज़ संघ जैसे काडर आधारित फ़ासिस्ट संगठन के द्वारा संगठित तरीके से फैलाया जा रहा है जिसकी पहुँच देश के कोने-कोने तक है।