प्रथम विश्वयुद्ध के साम्राज्यवादी नरसंहार के सौ वर्षों के अवसर पर
आज प्रथम विश्व युद्ध के 100 वर्ष पश्चात फ़िर से इसके कारणों की जाँच-पड़ताल करना कोई अकादमिक कवायद नहीं है। आज भी हम साम्राज्यवाद के युग में ही जी रहे हैं और आज भी साम्राज्यवाद द्वारा आम मेहनतकश जनता पर अनेकों युद्ध थोपे जा रहे हैं। इसलिये यह समझना आज भी ज़रूरी है कि साम्राज्यवाद क्यों और किस तरह से युद्धों को जन्म देता है। वैसे तो हर कोई प्रथम विश्व युद्ध के बारे में जानता है लेकिन इसके ऐतिहासिक कारण क्या थे, इस बारे में बहुत सारे भ्रम फैले हुए हैं या फिर अधिक सटीक शब्दों में कहें तो फैलाये गये हैं। अनेकों भाड़े के इतिहासकार इस युद्ध को इस तरह से पेश करते हैं मानो यह कुछ शासकों की निजी महत्त्वाकांक्षा व सनक के कारण हुआ था। अधिकतर इसकी पूरी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को ग़ायब कर देते हैं