फ़ासीवादियों द्वारा इतिहास का विकृतीकरण
अगर जनता के सामने वर्ग अन्तरविरोध साफ़ नहीं होते और उनमें वर्ग चेतना की कमी होती है तो इतिहास का विकृतिकरण करके व अन्य दुष्प्रचारों के ज़रिये उनके भीतर किसी विशेष धर्म या सम्प्रदाय के लोगों के प्रति अतार्किक प्रतिक्रियावादी गुस्सा भरा जा सकता है और उन्हें इस भ्रम का शिकार बनाया जा सकता है कि उनकी दिक्कतों का कारण उस विशेष सम्प्रदाय, जाति या धर्म के लोग हैं। क्रान्तिकारी शक्तियों को फ़ासीवादियों की इस साज़िश का पर्दाफ़ाश करना होगा और सतत प्रचार के ज़रिये जनता के भीतर वर्ग चेतना पैदा करनी होगी। इतिहास को विकृत करना फ़ासीवादियों का इतिहास रहा है। और यह भी इतिहास रहा है कि फ़ासीवाद को मुँहतोड़ जवाब देने का माद्दा केवल क्रान्तिकारी ताक़तें ही रखती हैं। फ़ासीवाद को इतिहास की कचरा पेटी में पहुँचाने का काम भी क्रान्तिकारी शक्तियाँ ही करेंगी। और तब इतिहास को विकृत करने वाला कोई न बचेगा।